
(कमल दुबे द्वारा)
बिलासपुर/-छत्तीसगढ़ के एक संस्थान से एमडीएस कर रही डॉ स्नेहा जैन का दो दिन पहले कोविड संक्रमित होने के कारण निधन हो गया। डॉ स्नेहा के सपने अधूरे ही रह गये।साल भर पहले ही स्नेहा विवाह के गठबंधन में बंधी थीं। सभी परिजन और साथी स्नेहा के इस तरह से जाने से व्यथित हैं। सहपाठियों में लोकप्रिय स्नेहा वहां चली गयी जहां से लौट कर कोई नहीं आता। लेकिन स्नेहा ने जाते जाते भी एक ऐसा काम किया था जिसके कारण डेंटल के छात्र और उनके अभिवावक उन्हें हमेशा याद रखेंगे।दरअसल छत्तीसगढ़ के दीनदयाल आयुष विश्वविद्यालय ने इस वर्ष की एमडीएस और बीडीएस की ऑफ़लाइन परीक्षाओं के लिये टाइम टेबल जारी कर दिये थे। मई के प्रथम सप्ताह में परीक्षायें शुरू होनी थी। तभी कोरोना की दूसरी लहर से देश थर्रा गया। अप्रेल माह से देश में लॉक डाउन का सिलसिला शुरू हो गया। तमाम स्कूल कालेज बंद होने लगे, परीक्षायें स्थगित होने लगीं। ऐसे में डेंटल के छात्र भी अपनी परीक्षायें आगे बढ़ाने की मांग करने लगे लेकिन आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति ने परीक्षाओं की तारीख आगे बढ़ाने से साफ इंकार कर दिया। कई छात्रों ने संक्रमित होने का भी हवाला दिया लेकिन कुलपति टस से मस नहीं हुए बल्कि उन्होंने आगे बढ़कर एक बयान जारी कर दिया कि “छात्र मौज-मस्ती के लिये परीक्षाओं की तारीख आगे बढ़ाना चाह रहे हैं।”छात्रों ने हर मंच में अपनी गुहार लगायी लेकिन उनकी आवाज़ नहीं सुनी गयी। तब थक हार के छात्रों ने छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय की शरण ली। जहाँ से उन्हें राहत मिली। इस याचिका को लगाने वाले छात्रों में डॉ स्नेहा का नाम सबसे ऊपर था जो कि स्वयं संक्रमित थी। इसी संक्रमण ने उनकी जान ले ली।
पुनश्च- क्या आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति अपने पद पर बने रहने के काबिल हैं?


