
हितेश मानिकपुरी की खास रिपोर्ट..
रायपुर/- छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले में गंडई के पास ठाकुरटोला गांव से लगी पहाड़ी पर ऐतिहासिक और अपने अंदर कई रहस्यो को समेटकर रखने वाली मढीपखोल गुफा 17 मई सोमवार को नही खुलेगी।
बढ़ते कोरोना संक्रमण को देखते हुये ।
जिला प्रशासन और मढ़ीप खोल समिति ने इस वर्ष भी अक्षय तृतीया के आने वाले पहले सोमवार को खुलने वाली गुफा नही खुलने की जानकारी दी ।
सी एन आई न्यूज टीम को मढ़ीप खोल समित अध्यक्ष एवं ठाकुरटोला जमीदारी के राजपुरोहित लाल रोहित सिंह पुलस्त ने बताया कि कोरोना संक्रमण के गाइड लाइन को पालन करते हुये प्रशासन के अधिकारियो और मढ़ीप खोल समित से निर्णनय लिया गया है कि इस साल मढ़ीप खोल का मेला स्थगित कर दिया गया है ।
लेकिन पूर्वजो के चल रही परांपरिक पुजा पाठ जरूर की जायेगी ।कोरोना गाइड लाईस का पालन किया जायेगा ।चार से पांच लोग मंढ़ीप खोल स्थित शिव लिंग में परांपरिक पुजा कर सकेंगे । 
आपको बता दे की यह गुफा साल में सिर्फ एक बार अक्षय तृतीया के बाद आने वाले पहले सोमवार को खुलती है।
गुफा के खुलने पर बडी संख्या में लोग यहा आकर गुफा को देखने के साथ यहा विराजित शिव जी की पूजा अर्चना करते हैं। यहां जिले से लेकर पूरे छत्तीसगढ़ और पडोसी राज्य मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र उडीसा सहित देशभर के लोग पहुचते हैं।
जानकारी के अनुसार मंढीपखोल गुफा ठाकुरटोला राज परिवार के कुल देवता का स्थान है। राज परिवार के सदस्य राजपुरोहित रोहित लाल पुलस्त और उनके परिवार द्वारा पहले पूजा-अर्चना करने के बाद मंढीप खोल गुफा के द्वार खोलते हैं। फिर लोगो के दर्शन का सिलसिला शुरू हो जाता है।सिद्धपीठ है गौरी मंदिर मंढीपखोल गुफा में जाने से पहले श्रद्धालु यहा स्थापित मां गौरी और दक्षिण मुखी हनुमान के दर्शन करते है । इन मंदिरो में दर्शन करने के बाद गुफा के अंदर विराजित शिव के दर्शन करते है। और तभी इस यात्रा को पूर्ण माना जाता है।गुफा के अंदर है पवित्र कुंड जानकारी के अनुसार गुफा के अंदर श्वेत गंगा है जिसे पार करने के बाद पवित्र कुंड है। यहां पहुचकर श्रद्धालु स्नान करते हैं। ऐसा माना जाता है कि यहां स्नान करने से चर्म रोगों से मुक्ति मिलती है । साथ ही उसे पीने से पेट संबंधी रोग दूर हो जाते हैं।
लुभाते हैं चमकदार पत्थर
कई रहस्यो को समेटे गुफा में कुछ ऐसे पत्थर हैं जो प्रकाश में हीरे के समान चमकते है। यह पत्थर लोगों को काफी आकर्षित करते है। यहां काफी घुमावदार और विचित्र रास्ते भी है। यहां का शिवलिंग का मंदिर और चमगादड़ खोल गुफा को सबसे पवित्र माना जाता है। यहां तक पहुचने के लिए बास या लकडी की सीढी का उयोग करना
पडता है।
मशाल लेकर जाते हैं
एक साथ सिर्फ आठ से दस लोग ही शिव का दर्शन करते हैं क्योंकि गुफा का रास्ता काफी संकरा है। कई रास्ते में लेट कर और सिर नीचे कर सफर करना पडता है। गुफा के अंदर गहरा अंधेरा होने के कारण लोगों को अंदर जाने के लिए टार्च, मशाल आदि का उपयोग करना पडता है। रोशनी की कोई व्यवस्था नहीं होने के कारण दर्शकों को थोड़ी दिक्कत जरूर होती है।
इस तरह पहुंचे गुफा तक
यह गुफा छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव से 95 किमी दूरी पर स्थित है। राजनांदगांव से कवर्धा मार्ग के बीच इसका सफर गंडई से नर्मदा मैया के दर्शन से शुरू होता है।
बालाघाट मार्ग पर पहले जंगलपुर घाट स्थित चोडरा धाम के गौमुख डोगेश्वर महादेव के दर्शन के दौरान लोगों को प्रकृति की अदभूत लीला देखने को मिलती है। गुफा का
सफर ठाकुरटोला चौक से शुरू होता है। वहां से 13 किमी जंगली रास्ते से जाना पडता है।
एक नदी मिलती है 16 बार
सफर के दौरान लोगों को एक नदी को 16 बार अलग-अलग स्थानों से पार करने के बाद गुफा तक जाने का रास्ता मिलता जाता है। जानकारी के अनुसार ग्रामीण राधा मोहन वैष्णव ने बताया की ठाकुरटोला रियासत के जमीदारों ने 13वीं शताब्दी में मंढीपखोल गुफा जो उनके कुल देवता का स्थान है, गौरी मंदिर, दक्षिण मुखी हनुमान और शिव मंदिर का निर्माण कराया था। ये मंदिर खजुराहो शैली पर बने हैं। जो ठाकुरटोला गांव के प्रवेश करने पर दिखाई देता है।
लेकिन कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुये इस वर्ष भी छत्तीसगढ़ के साल में एक बार खुलने वाले मढ़ीप खोल गुफा स्थित शिवलिंग का दर्शन देश प्रदेश के श्रद्धालु नहीं कर सकेंगे ।


