
कोरबा/पाली:- बगदेवा (पतरापाली) से कटघोरा तक नेशनल हाईवे पर फोरलेन सड़क निर्माण का कार्य यूं तो प्रगति पर है, लेकिन इस सड़क के निर्माण का ठेका लेने वाले कंपनी मेसर्स दिलीप बिल्डकॉन द्वारा उक्त निर्माण के लिए आवश्यकता पड़ने वाले मिट्टी- मुरूम का अवैध तरीके से खनन कर उपयोग में लाया जा रहा है। जहां कंपनी बेखौफ होकर राजस्व व वन की शासकीय भूमि पर गैर तरीके से खनन कार्य को अंजाम देते हुए शासन को भारी राजस्व का चपत लगा रहा है। जिस पर रोक लगाने संबंधित विभागीय अमला का ध्यान नही है, और इस कारण दिलीप बिल्डकॉन कंपनी के अधिकारियों- कर्मचारियों द्वारा मनमानी करते हुए गांव तथा जंगल से मिट्टी- मुरूम का जमकर खनन को अंजाम दिया जा रहा है। सड़क निर्माण ठेका कंपनी द्वारा इन दिनों ग्राम बनबांधा स्थित डबरी- तालाब एवं आसपास वनभूमि से भी मुरूम खनन किया जा रहा है। लेकिन कुम्भकर्णीय निंद्रा में लीन राजस्व अथवा वन अधिकारियों की नींद नही टूटी है या फिर शायद सब जानते समझते हुए भी कार्यवाही करने से कतरा रहे हो। बहरहाल जो भी हो लेकिन प्रशासनिक निष्क्रियता एवं यदाकदा खानापूर्ति स्वरूप किये गए कार्यवाही से कंपनी के हौसले बुलंद है तथा जिनके द्वारा प्रारंभ से ही वन और राजस्व भूमि से अवैध तौर- तरीके अपनाकर मिट्टी- मुरूम का मनमाने दोहन करते आ रहा है। ठेका कंपनी द्वारा अनेक प्रभावित ग्राम के डबरी, तालाब को भी बिना अनुमति बेतहाशा खोद दिया गया है, बारिश पश्चात जिनकी गहराई का अंदाजा लगा पाना मुश्किल होगा तथा जिससे जान का खतरा भी बना रहेगा।
तालाब- डबरी के खनन से मनरेगा की स्वीकृति व रोजगार से वंचित ग्रामीण मजदूर..
फोरलेन सड़क निर्माण कार्य मे उपयोग के लिए जिस गैर तरीके से ठेका कंपनी द्वारा डबरी, तालाबों के मनमाना पूर्ण खनन किया जा रहा है उससे ग्राम पंचायत को मनरेगा की स्वीकृति से वंचित तो होना पड़ ही रहा है, साथ ही गांव के गरीब मजदूरों का रोजगार भी छीना जा रहा है। ऐसे में उन जरूरतमंद ग्रामीण मजदूरों को गांव में रोजगार मुहैया न होने के कारण काम की तलाश में उन्हें इधर- उधर भटकना पड़ रहा है।
जवाबदार वर्ग अपनी जिम्मेदारी का ऐसे करते है निर्वहन..
ठेका कंपनी मेसर्स दिलीप बिल्डकॉन के द्वारा बीते दिनों ग्राम बनबांधा में पंचायत द्वारा निर्मित डबरी से किये जा रहे अवैध मुरुम खनन को लेकर यहां के कुछ जागरूक ग्रामीणों द्वारा पाली तहसीलदार को फोन पर सूचना देने का प्रयास किया गया लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया, वहीं पंचायत सचिव से बात करने पर सचिव ने मुरूम खनन के लिए किसी भी प्रकार की अनुमति नही देने की बात कही, जबकि मौके पर उपस्थित दिलीप बिल्डकॉन के एक कर्मचारी से पूछने पर उसने पंचायत द्वारा खनन कार्य का प्रस्ताव देने की बात तो कही लेकिन प्रस्ताव प्रति नही दिखाया गया। ग्रामीणों ने डायल 112 में भी अवैध मुरुम खनन की शिकायत दर्ज कराई किन्तु घँटे भर इंतजार के बाद वह भी नही पहुँच सकी। ऐसे में जवाबदार वर्ग अपनी जिम्मेदारी का कैसे निर्वहन करते है इसका उक्ताशय से अंदाजा लगाया जा सकता है।


