
बिलासपुर जिसमें सतनाम पंथ संवाहक संस्था छत्तीसगढ़ के प्रदेश अध्यक्ष माननीय जगन्नाथ प्रसाद लहरे के द्वारा उद्बोधन में कहा कि रहलतुला में कबीर दास जी रहते थे और रविदास जी बनारस में रहते थे दोनों आसपास लगा हुआ है।
कबीर दास जी मिलने रविदास जी के पास आए थे तब कबीर दास जी के स्वागत में रविदास जी ने जिसमें चमड़ा डूबा था उसमें का जल निकाल कर दिया जिसे कबीर दास जी ने ग्रहण नहीं किया। और फेक दिया जिसका कुछ छिटा उनके सफेद धोती में पड़ गया रहलतुला पहुंचकर अपने नौकरानी को धोती का दाग छुड़ाने के लिए दिया साबुन से साफ नहीं होने पर नौकरानी ने उसे दांत से छुड़ाने लगी जिससे एक दो घूंट उसके पेट के अंदर चला गया दाग छूट गया तब उसे ज्ञान आने लगा बड़ी-बड़ी ज्ञान की बातें करने लगी तब कबीर दास जी ने उसे पूछा तो उन्होंने बताई कि मैं धोती का दाग दांत से छुड़ाई जिससे एक दो घूंट मेरे पेट के अंदर जाने पर मुझे ज्ञान की बातें आने लगी फिर कबीर दास जी ने मान्यवर रविदास जी के यहां फिर उसके घर गया तब रविदास जी ने अपने नौकर से कहा कि कुआं से शुद्ध जल लेकर आना फिर कबीर दास जी ने कहा रविदास जी को कि मुझे उस दिन जो जल दिए थे वह जल मुझे चाहिए इसके लिए आया हूं मैं यह जल ग्रहण करने नहीं आया हूं तो रविदास जी ने कहा कि वह जल किसी भी व्यक्ति के जीवन में एक ही बार मिलता है दोबारा मैं कहां से ला पाऊंगा नहीं मिलेगा उसके बाद सतनाम पंथ के महिला विंग के प्रदेश अध्यक्ष श्रीमती सरोजनी लहरे ने उद्बोधन किया प्रांगण में सतनाम पंथ संवाहक संस्था एवं अन्य संस्था के लोग उपस्थित रहे याशुतोष लहरे,देवेंद्र लहरे ,साक्षी भंडारी, चंद्रिका मोहल्ले, कैलाश बघेल,भगिया बाई, सेल दहरिया, रेणुका बंजारे, कुमारी जांगड़े ,अनार ओगरे, सुख भाई लहरे,रानी बगघेल, रेखा काटले, सुखमा सोनवानी, कोशीला बाई, संतोष, इंद्रमण,धुनु आदि।


