Home खास खबर बिलासपुर में तिरंगा यात्रा, सुशासन तिहार और मां कर्मा जयंती में केंद्रीय राज्यमंत्री- तोखन साहू शामिल हुए…

बिलासपुर में तिरंगा यात्रा, सुशासन तिहार और मां कर्मा जयंती में केंद्रीय राज्यमंत्री- तोखन साहू शामिल हुए…

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बिलासपुर में तिरंगा यात्रा, सुशासन तिहार और मां कर्मा जयंती में केंद्रीय राज्यमंत्री- तोखन साहू शामिल हुए…

बिलासपुर ज़िले के बिल्हा जनपद और मिनी स्टेडियम में आयोजित ‘तिरंगा यात्रा’ ने राष्ट्रप्रेम का अद्भुत दृश्य प्रस्तुत किया। तोखन साहू ने जनसैलाब के साथ कदम मिलाकर इस आयोजन में भाग लिया।      सैकड़ों की संख्या में युवाओं, महिलाओं, बुजुर्गों और ग्रामीण नागरिकों की सक्रिय उपस्थिति ने यह स्पष्ट कर दिया कि भारतवासी आज देश की रक्षा और एकता के लिए पूरी तरह संकल्पबद्ध हैं।               

साहू ने अपने उद्बोधन में कहा:

“आज का दृश्य हर भारतवासी के हृदय को गर्व और उत्साह से भर देता है। हाथों में तिरंगा, आंखों में आत्मविश्वास और हृदय में राष्ट्रभक्ति — यही है नए भारत की पहचान। देशभक्ति, सेना के सम्मान और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के संकल्प का सशक्त प्रतीक है।”उन्होंने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को मिल रहे जनसमर्थन को जागरूक नागरिकों की राष्ट्रभक्ति का प्रमाण बताया और कहा,

“हर हाथ में तिरंगा, हर हृदय में भारत — यही है एकजुट भारत की सच्ची तस्वीर।”                    समाधान शिविर में जनसेवा को प्राथमिकता

बिल्हा जनपद में आयोजित ‘समाधान शिविर’ में साहू ने सीधे जनता से संवाद करते हुए उनकी समस्याओं को प्राथमिकता से सुना और अधिकारियों को मौके पर ही समाधान के निर्देश दिए।

उन्होंने कहा,

“प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी और मुख्यमंत्री विष्णु देव सायी के नेतृत्व में हमारी सरकार अंतिम पंक्ति के अंतिम व्यक्ति तक जनसेवा पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है। समाधान शिविर जनसरोकार का प्रभावी माध्यम है, जहां जनता को बार-बार कार्यालयों के चक्कर नहीं लगाने पड़ते।”

मां कर्मा जयंती पर आध्यात्मिक और सामाजिक मूल्यों का संदेश

मुंगेली ज़िले के जरहागांव में आयोजित मां कर्मा जयंती समारोह में साहू ने भक्त माता कर्मा जी को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने माता जी को भक्ति आंदोलन की अग्रणी और सामाजिक समरसता की प्रतीक बताया।

साहू ने कहा:

“भक्त माता कर्मा जी का जीवन त्याग, सेवा और समता का अनुपम उदाहरण है। उन्होंने उस युग में सामाजिक समरसता और वर्ण-भेद से ऊपर उठकर समता का जो संदेश दिया था, वह आज भी उतना ही प्रासंगिक है।”

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