Home खास खबर सभापति ने किया भूमिपूजन..कहा..कोरोना काल में ग्रामीणों ने दिखाया धैर्य..गंभीरता से करें प्रोटोकाल का पालन..लगवाएं टीका..

सभापति ने किया भूमिपूजन..कहा..कोरोना काल में ग्रामीणों ने दिखाया धैर्य..गंभीरता से करें प्रोटोकाल का पालन..लगवाएं टीका..

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सभापति ने किया भूमिपूजन..कहा..कोरोना काल में ग्रामीणों ने दिखाया धैर्य..गंभीरता से करें प्रोटोकाल का पालन..लगवाएं टीका..

बिलासपुर -:जिला पंचायत सभापति अंकित गौरहा ने ग्राम पंचायत लिमतरी में करीब तीन लाख रूपयों से बनने वाले पचरी का भूमिपूजन किया। इस दौरान अंकित ने उपस्थित लोगों के साथ विधि विधान से पूजा पाठ किया।                                     

साथ ही निर्माण कार्य को हरी झण्डी दिखाया। उपस्थित लोगों ने निर्माणाधीन पचरी घाट को लेकर उत्साह भी जाहिर किया।जिला पंचायत सभापति अंकित गौरहा ने सोमवार को बिल्हा विधानसभा क्षेत्र के लिमतरी ग्राम पंचायत में पचरी घाट के लिए भूमि पूजन किया। उपस्थित लोगों ने इस दौरान खुशी जाहिर की अंकित ने बताया कि लिमतरी में करीब 2 लाख 70 लाख की लागत से पचरी बनाया जाएगा। स्थानीय लोगों की सालों मांग थी कि गांव में एक पचरी घाट की सख्त जरूरत है। शासन ने ग्रामीणों की मांग को गंभीरता से लेते हुए पचरी घाट के लिए रूपयों का एलान किया। आज लोगों के साथ भूमिपूजन किया गया। इसके साथ ही निर्माण कार्य भी प्रारंभ हुआ। जल्द ही समय के भीतर पचरी घाट का निर्माण कार्य पूरा कर लिया जाएगा।उपस्थित लोगों को सभापति ने बताया कि सरकार गांव गरीब और किसानों के साथ है। कोरोना काल में शासन के सहयोग से अंतिम व्यक्ति की सेवा करने का मौका मिला। यह बताना जरूरी है कि कोरोना काल में ग्रामीण जन जीवन ने धैर्य दिखाया है। जिसके चलते ग्रामीणों ने कोरोना पर जीत हासिल की है।उपस्थित लोगों समेत ग्रामीण जनता से अंकित ने निवेदन किया कि लोग ज्यादा से ज्यादा संख्या में वैक्सीनेशन सेन्टर पहुंचकर टीका लगवाएं। सोशल डिस्टेंसिंग और कोरोना प्रोटाकाल का पालन करें। सभापति ने कहा कि ग्रामीणों की सुविधाओं को लेकर सरकार सजग है। पचरी घाट के बनने से लोगों को खास परेशानियों से छुटकारा मिलेगा। इस दौरान गौरहा ने समय पर निर्माण कार्य पूरी किये जाने का निर्देश दिया।भूमिपूजन कार्यक्रम में लिमतरी सरपंच शत्रुहन गेंदले ,विनोद कौशिक,उपसरपंच चंदन गिरी गोस्वामी,बल्लू यादव,राधेश्याम गोंड़,नकुल केवट,प्रताप जगत और स्थानीय ग्रामीण विशेष रूप से मौजूद थे।

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